Python Workshop

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Oct 22, 2019 - 21:26
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शारदा ग्रुप के प्रतिष्ठित संस्थान हिन्दुस्तान काॅलेज ऑफ साइंस एण्ड टेक्नोलाॅजी के इलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड कम्युनिकेषन विभाग में पाइथन और मषीन लर्निंग पर एक कार्यषाला का आयोजन किया गया। ये कार्यषाला आगरा के B2E Coders और दिल्ली से माई छत्री ने आयोजित की। इसमें छात्रों ने पाइथन प्रोग्रामिंग को गहराई से सीखा।

पाइथन एक हाईलेबल प्रोग्राममिंग लग्वेज है। कार्यक्रम के शुरूआत में संस्थान के निदेषक डाॅ. राजीव कुमार उपाध्याय ने माई छत्री के निदेषक श्री अमित गुप्ता का स्वागत किया और छात्रों को बताया कि पाइथन आपके प्लेसमेंट के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकती है। उन्होंने छात्रों को इस तरह की कार्यषालायें करने के लिए प्रोत्साहित किया। वेब एप्लिकेषन बनाने के लिए एक सर्वर पर पाइथन का उपयोग किया जा सकता है। पाइथन डेटाबेस सिस्टम से जुड सकता है। यह फाइलों को पढ़ और संषोधित भी कर सकता है। पाइथन का उपयोग बड़े डेटा को संभालने और जटिल गणित करने के लिए किया जा सकता है।

पाइथन का उपयोग तेजी से प्रोटोटाइप के लिए या उत्पादन-तैयान साॅफ्टवेयर विकास के लिए किया जा सकता है। पाइथन विभिन्न प्लेटफार्मों पर काम करता है जैसे विंडोज,मैक, लाइनिक्स, रास्पबेरी पाई आदि। पाइथन एक ऐसी प्रोग्रोमिंग भाषा है जो डेवलपर को कम लाइनों में प्रोग्राम लिखने की अनुमति देता है। पाइथन का प्रोटोटाइप कम समय में हो सकता है। पाइथन के द्वारा छात्र-छात्राओं ने वेवडिजाइनिंग को भी गहराई से समझा। उन्होंने डेटा टाइप और टाइप कास्टिंग भी छात्र-छात्राओं को समझाया। उसके बाद छात्र-छात्राओं को मषीन लर्निंग के बारे में बताया जिसमें नंफी, पांडास, मैट प्लाट लिव और साइलिट आदि पाइथन लाइब्रेरी को समझा। अंतिम सत्र में छात्रों मषीन लर्निंग के प्रयोगों के बारे में समझा। जिसमें सुपरवाइज्ड और अनसुपरवाइज्ड मषीन लर्निंग और रिग्रेषन की धारणा को समझा।

मषीन लर्निंग कृतिम बुद्धिमता का एक अनुप्रयोग है जो सिस्टम को स्पष्ट रूप से प्रोग्राम किये बिना अनुभव से स्वचालित रूप से सीखने और सुधारने की क्षमता प्रदान करता है। मषीन लर्निंग उन कम्प्यूटर प्रोग्राम के विकास पर ध्यान केन्द्रित करता है जो डेटा तक पहुंच सकते हैं और इसे अपने लिए सीख सकते हैं। सीखने की प्रक्रिया टिप्पणियों या डेटा से शुरू होती है जैसे कि उदाहरण प्रत्यक्ष अनुभव या निर्देष ताकि डेटा में पैटर्न की खोज हो सके और हम जो उदाहरण प्रदान करते हैं, उसके आधार पर भविष्य में बेहतर निर्णय ले सकें।

कार्यक्रम के समन्वयक इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग के श्री अजीत सिंह एवं हिमांषु प्रकाष राजपूत थे। इस अवसर पर इलेक्ट्रॉनिक्स कम्युनिकेषन इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. संजय जैन, श्री संजय सिंह, श्रीमती रूपाली महाजन, श्री मुंकुन्द लाल, श्रीमती दीप्ती गुप्ता आदि उपलब्ध थे।

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